यूँ ही कट जाएगा समय घर पर बैठे बैठे,
लेकिन याद तुम्हें सतायगी यार दोस्तों कीं,
अभी तो बस दो दिन ही हुए हैं तुम्हें घर पर बैठे बैठे,
ये सजा का अहसास क्यों तेरे दिल में घर कर आइ,
अब घर बैठने पर दर्द का अहसास होने लगा मुझे,
दिल की बात संझा जो अब नहीं कर सकता यहाँ मैं,
सोची समझी रणनीति लगती हैं ये किसी स्त्री की,
वायरस बना कर पुरुषों को पल्लू से बांध लिया उसने,
घर के ताने से बचने का अब ना मिलेगा कोई बहना,
अब तो तुम्हें सुनना पड़ेगा रोज़ ढेर सरा उलाहना,
लेकिन देखो एक बात तो अच्छा लगता हैं यहाँ मुझे,
ये संकट भी टल जाएग क्योंकि ये हैं “मेड इन चाइना”.
के.के.