मिस्टर और सिस्टर

रिश्ते में वो है मेरे मिस्टर, संग साथ देते वो,
ख़ुश रहु सदा, जब लगे साथ हो मेरे मिस्टर,
मज़े में काटूँ जीवन, ख़ुशी बाँटू अब मिस्टर संग,
अपनों को छोड़ पीछे, सोच में है सिर्फ़ मेरे मिस्टर,

बड़े न्यारे मेरे मिस्टर, लगे प्यारे मेरे मिस्टर,
जीती अब सिर्फ़, जब संग रहे मेरे मिस्टर,
मेरे तन मन में बसे, बस सिर्फ़ मेरे मिस्टर,
संग रहे मेरे मिस्टर, गोले मोले मेरे मिस्टर,

मिस्टर की चाल निराली, मेरी ख़ुशी सारी धो डाली, 
सिस्टर संग हो मिस्टर, तोड़ी मेरी इज़्ज़त खुल कर,
भूल पथ संग साथ जीवन, निभाने की क़समें सारी,
छोड़ मेरे संग मेरे मिस्टर,देते साथ सदा अपने सिस्टर.

कुणाल कुमार 

संवेदना

जीवन सुख की कामना लिए, तरसे शांति की खोज में, 
जी लू ज़िंदगी जैसे अश्वथमा, जी रहा संवेदना  को तरसे,
कठिन पथ पर दुःख भरे काँटे, हंस कर बढ़ चलु लक्ष्य पे,
संवेदना की ललक लिए, इंतज़ार किसी अपने का मन से,

क्या ख़ाक ख़ुशी मिली मुझे,  जब संवेदना ना हो रिश्ते में, 
संग संग जीने का प्रण लिए, मैं जो बंधा अपने वचनो में,
जी लूँगा जीवन प्यारा, हंस कर हर ग़म छिपा अपने संग,
बस एक गुज़ारिश छोटी सी, बस दो साथ प्यार के संग,

क्या लौटा सकती हो वो पल, जिस पल टूटा दिल मेरा, 
संग चलने को क़ीमत चुकाई, जो तोड़ रिश्ते अपनो से,
अब प्यार की उम्मीद नहीं, बस जी रहा सिर्फ़ अपने लिए,
अपने सब छूटे पथ पे पीछे, खोज में भटकूँ किसी अपने के,

जीवन की इस रूप का, उम्मीद ना कभी था मन में,
तेरी कटु वाणी को अपना, पी रहा इस औषद को,  
जीने की उम्मीद लिए, खोजूँ उसे जो हंश सके संग,
मेरे मन की व्यथा  समझ, जी सके मेरे संवेदना के संग.

कुणाल कुमार 

बुलबुला

ज़िंदगी का हर पल जैसे हो कोई बुलबुला,
ख़ुशी मानो हो बुलबुला, दिए क्षणिक सुख,

पानी का ये बुलबुला, उड़ने की चाह लिए,
उड़े ख़ुशी भी समान, दुःख के काँटे दे फोड़ इसे,

छोटी से ये बुलबुले, सुंदर दिखे जब हो सभी संग,
जीवन की पाठ पढ़ाए, सुंदर तभी जब सभी हो संग,

रिश्ते भी है सुंदर, बंधी हुई कमजोर धागे के संग,
एक झोका दर्द भरी, तोड़ रिश्ते जैसे फूटे बुलबुले,

कुणाल कुमार 

मधुमास

मिले जब दो दिल, जीने को संग,
चलते है साथ, अपने जीवन पथ पर,
चाह लिए दिल, करने को पल अपने,

ख़ुशियाँ भरे रिश्ते, लिखे नयी परिभाषा,
रिश्ते की ख़ूबशूरती, महके जीवन बने प्यारा,
साथ निभाने कि क़समें लिए, सत्य पथ पे बढ़े,
दो जान बने एक, होकर प्यार में सदा परिपूर्ण,

अधरों की अभिलाषा हुई पूर्ण,  प्यार के प्रहर्ष मार्ग पे,
प्यार भरी इस घड़ी, हो साथी जो  क़रीब,
समय तू ज़रा थम जा, अभी ईक्षा हुई ना पूरी,
हो साथ मिलकर  एक, खिले एक सुंदर सी कली,
समय के इस मधुर पल को, कहते मधुमास की घड़ी.

कुणाल कुमार

नींद

प्यारी प्यारी मधुर सा, मुझे लगे मेरी ये नींद,
दिन का थकान मिट, मनचाहे सपनो में खो,
ख़ुशी समेटे सपने संग, सो रहा मैं अपने नींद,
कभी हूँ अपनो के संग, कभी हो लू तुम्हारे संग,

नींद में मैं जी लू जीवन, नींद ही है मेरा धन,
नींद में  मुझे मिले ख़ुशी, नींद में है अपनापन,
नींद में बनु कभी हीरो, कभी बनु एक चित चोर,
मज़े में कटे जीवन, नींद संग सुनहरा जीवन.

नींद में जी ले भिखारी बन राजा, सुख सत्ता के संग,
नींद में राजा भी डरे, जब उसे हो ना जनता का संग,
नींद में नेता जी रहे, संग  सत्ता के मज़े भरे सपने,
नींद में  जो मरे हुए, चैन से भरे नींद में सोकर.

कुणाल कुमार 

आईना

आईना दिखाए मुझे जीवन का चेहरा,
दिखाए चेहरे में छिपा हर भाव का  रंग,

कभी दिखे खिलता ख़ुशी, तो कभी  दिखे ग़म का राग,
कभी दिखे खिलता प्यार, कभी बिरह की व्यथा अपार,

कौन सच्चा कौन  झूठा, आईना इसकी पहचान बताए,
सच्चे को मिली हर ख़ुशी, झूठा जिए दर्द लिए जीवन,

आईना दिखाए मुझे मेरा बचपन, खेल कूद मज़े भरा क्षण,
कभी दिखे मेरी जवानी, जो समेटे मधुर एहसास अपने संग,

वो वक्त भी दिखे अभी, जब ना  हो कोई मेरे संग,
अकेलापन भारी पड़े, ना कोई बाँटे सके मेरा दुःख,

आगे दिखे बुढ़ापे की पीड़ा, लगे जीवन सिर्फ़ सुनसान,
जीने की अब ईक्षा नहीं, फिर भी  निकले ना मेरा प्राण.

कुणाल कुमार 

खंडर की ईंट

खंडर की हर ईंट बोले, इस क़िले  की कहानी,
अपनी ही पहचान लिए,  बोले अपनी ज़ुबानी,

कितने ही वीर देखे इसने, कितनी  ही लड़ाई,
मातृभूमि के सपूतों को, ये ईंट करे अभिनंदन,

इसने देखे राजा अनेक, कुछ नेक थे कुछ प्रचंड,
सारी यादें संजोए दिल, करे इतिहास का वर्णन,

इसने देखे प्यार भरे रंग,देखे छल करे अपने अपनों के  संग,
कभी सुनी बच्चों की किलकारी, कभी युद्ध की बिगुल भारी,

इसपे बैठ प्रेमी जोड़े, इसपे लिखे अपनी प्यार भरी बोल,
क़ैद किए अपनी पहचान, लिखे दो बोल अपने जान के नाम.

कुणाल कुमार 

चेहरा दिल की पहचान

आपकी ये अनमोल  नयन, सागर सा गहराई लिए,
डूब जाऊँ इस गहरे समुंदर में, जैसे विप्लव हो कश्ती,

आपकी हँसी है अनोखी, जैसे कर्ण में परे  मोती,
एक अनूठी एहसास मिले, सुने जब आपकी  हँसी,

आपकी ज़ुल्फ़ों की क्या तारीफ़ करूँ, लहराते हर पल,
देती शीतलता सदा मुझे, इस ऊष्ण किरण ध्युवन् की,

आपकी मीठी बोली, मेरे कर्ण को बरा ही भाए,
लगे जैसे तान छेड़ा आपने, अपने मधुर स्वर संग ,

आपके ये मासूम सा सोच, सदा लगे मुझे प्यारा, 
जीवन की ये है सत्व, हो मेरी जीवन जीने की चाह,

चेहरा है दिल की पहचान, है आपके जीवन की शान,
आप सदा यु मुस्कुराते रहो, संग रहे आपकी हर ख़ुशी.

कुणाल कुमार

रंग

रंग जो जीवन का हो , या रंग से भरी हो जीवन, 
रंग बिरंगी ख़ुशियाँ, या काली घटा मासूमियत  भरी,
रंग बताए मौसम का हाल, रंग से मालूम दिल का चाल,
रंग से जुड़े हर ख़्वाब, सुनहरे सपना लिए नयन  में बसे,

रंग का अभाव उनसे पूछो, जिसे मिले जीवन में अंधकार,
सुनी माँगे लिए विधवा की पुकार, जीवन में लिए अंधकार,
अंधेपन का ये दर्द, जीवन जीने को मजबूर किसी रंग बिना,
या भूल बैठे हम जुदा प्रेमी, जिनकी बिखरे वो ख़ुशी के रंग,

कुणाल कुमार 

द्वेष

मन में द्वेष लिए,  तेरे हर झूठे वादे संग,
हर पल याद करे, दिल इस प्यारे दुश्मन को, 
जी चाहे तुझे भूला दु, खो अपने में सब भूल,
कोरा कर जीवन पटल, मैं जी लू तेरे से दूर,

इस द्वेष का हाल निराला, जी ना पाऊँ तुझे भूल,
चाहे नफ़रत हो कितनी भी, प्यार करूँ दिल से,
कभी ना सोचूँ  मैं तेरा बुरा, चाहु तुझे दिल से,
ये कैसी है दुविधा, नफ़रत ना कर पाऊँ तुझसे,

मुझे मंज़ूर ये जुदाई, अगर ख़ुशी हो तेरी इसमें,
जी लू इस नीरस जीवन को, त्याग तुझे दिल से,
दिल का द्वेष छोड़ पीछे, ढूँढूं मैं अपनी ख़ुशी,
तू जी ले मेरे ख़्वाब संग, मैं जी लू तेरे इंतज़ार में,

मैं राही हूँ अपने मर्ज़ी का, चला मैं अपने सफ़र पे,
ढूँढ लू अगर अपनी ख़ुशी, किसी अपने के दिल में,
तू दिल में कभी द्वेष ना रखना,मेरे संग अगर जुड़े कोई,
क्योंकि ये जुदाई की लम्बी रातें, कटे ना अब तेरे बिन,

मेरा इंतज़ार भी सच्चा, जैसे मेरे वादे सब सच्चे,
कभी ना जी पाया ख़ुशी जीवन, झूठा बोल तेरे से,
जितने वादे किए तुझसे, आज भी मैं खड़ा हूँ उसपे,
मन का द्वेष कर दूर, सदा चाहु तेरी ख़ुशी दिल से.

कुणाल कुमार 

उल्टा बंदर … क्रमागत

उल्टा बंदर ने सूझ दिखाई, संग मालिक के पुँछ हिलाई,
छोड़ अब सत्ता का लोभ, जा बैठा वो मालिक के गोद,

वफ़ादारी की दी दुहाई, पुरानी याद मालिक को आई,
उसकी उल्टी चाल को देख, मालिक भी ने उसे  गले लगाई,

संग मिले सब होकर एक, बढ़ चले करने को खेल, 
बंदर अब नाच दिखा, विपक्ष के नेताओ को लुभा,

संग मिल देखे सब ये खेल, बंदर के संग जो हो गए मेल,
मिलजुल सबने ज़ोर लगाई, कुर्सी पाने की लालच आई, 

राज पाने उत्सुक ये नेता, जाने कब  नीति खो दी, 
राजनीति की बैंड बजाई, इस बैंड पे नाचे मेरा बंदर,

मेरा बंदर क्या जाने, की आगे कैसे घड़ी है उसकी,
सोचे वो घड़ी है उसकी, पर समय कभी हुआ अपना, 

बंदर क्या जाने मादरी का खेल, हुआ वो उसके आगे फेल,
मादरी जो सोचा मन में, किया बंदर को दूर अपने दल से, 

बंदर को ना सत्ता मिली,  ना मिला उसको दल का साथ,
एक अकेला बेचारा बंदर, रो रो कर हो गया बड़ा बेहाल,

सब समय का खेला है, इसपे जो नाचे  सब,
बंदर सा बन जाए, कूदे सभी अपने सपने  लिए.

कुणाल कुमार