इस झूठे संसार में,
मतलब से भरे हर बात में,
सच की खोज में मुझे,
बस थोड़ी दूर और जाना हैं।
शायद ही मुझे कोई ऐसा दिखे,
जो कर्तव्य को खुद से आगे पढ़े,
इसी खोज को आगे बढ़ना है,
बस थोड़ी दूर और जाना हैं।
शायद कोई मिल जाए मुझे,
जिन्हें अपनों को परिभाषित करना आता है,
खुद से आगे अपनों की सोचे उन्हें खोजने मुझे,
बस थोड़ी दूर और जाना हैं।
ज़रा सोचो तुम भी औरों का,
जैसे सोचे सैनिक, सेवक और ज्ञानी,
खुद से आगे कर्तव्य को रखने वालों की खोज में मुझे,
बस थोड़ी दूर और जाना हैं॥
कुणाल कुमार