चैन या कर्तव्य

चैन कहाँ हैं जीवन मेंआराम बड़ी हैं यहाँ पर मुश्किल,
भाग दौर भरी मेरी जीवनचैन की हैं ज़रा थोड़ी सी कमी,

नयन खुलने से बन्द होने तकनयन खोजे मेरी ख़ुशी,
बेचैन सा ये मेरा मनखोजे चैन भरी सिर्फ़  दो घड़ी,

बैठ संग बातें करूँ उससेजो समझे थोड़ा मुझे,
पर ऐसा मेरा नसीब कहाफँस गया कर्तव्य भँवर में,

शायद मैं भूल गयाकर्तव्य लक्ष्य ही हैं मेरी जीवन गती
अपनों की सिर्फ़ यादें अछी,  उन्हें खोना ही हैं तेरी नियति,

कर्तव्य की अपनी माँगना दे ये कभी समय मुझे,
कर्तव्य माँगे मुझसे मेरी ख़ुशीजो जीवन की जान हैं मेरी,

जीवन कर्तव्य करता चला जा तूँभूल जा अपनों का साथ,
इस चक्रवियूह से ना थककर्म करता यू चला जा छोड़ इस ज़िंदगी.

के.के.  

मेरी सच्चाई मेरी अधूरी पहचान

सोचता हूँ लिख डालू, अपने जीवन की सच्चाई,
मेरे मुस्कान में छिपी, बाँट लू मेरे दर्द हर लम्हे तुझसे,

बचपन के वो सुनहरे पल, जिसकी याद से सबको मिलती ख़ुशी,
मेरी कहानी हैं कुछ ऐसी, बचपन के सपनों से अब डर लगे मुझे,

एक तरफ़ बीमारी की यादें, दूसरी तरफ़ शारीरिक यातनाएँ,
जीवन के इस सुनहरे पल में, दर्द मिला काफ़ी अपनों से मुझे,

फिर आयी जवानी की बारी, सोचा बचपन भूल आगे बढ़ूँ,
इधर भी भाग्य की अंधेरी चादर, खड़ा राह रोके हुए मेरी,

हुआ मैं पक्षाघात का शिकार, शरीर ने दिए नए विकार,
काट ली मैंने अपनी जवानी, माँ सरस्वती के चरणों तले,

भूला सुख जवानी की, मिली यादें मुझे नीरशता भरी,
याद से भी डरे मुझे, मेरी जवानी के वो भद्दे यादें भरे पल,

आगे आयी अधेरावशता, व्यस्तता में कटने लगा जीवन,
इस अवस्था में किधर छोड़ी, मेरी सेहत की मजबूरियाँ,

इक दिन फिर ऐसा आया,  पक्षाघात की हुई वापसी,
जीवन मरण के बीच, फँस गयी  थी मेरी प्यारी ज़िंदगी,

इक बात तो थी मुझमें, पनस मिले काफ़ी मेरे जीवन पथ पे,
परंतु धन्य हैं प्रभु मेरे, सब सहने की क्षमता जो मुझमें भर दी,

वापस आया उठ अपने पथ पे, पीछे छोड़ा सारे कष्ट,
ख़ुशी जीवन की आस लिए, फिर की इक नयी शुरुआत,

इक दिन बैठा अपने मेज़ पे, सामने आयी ज़िंदगी कि ख़ुशी,
बता अपने दिल की बात, ख़्वाब सुनहरे ज़िंदगी का लिए हुए आस,

ज़िंदगी को जीने की आस, करने लगा उसके मैं इंतज़ार,
पर क्या ज़िंदगी की सच्चाई भूल, कर दी फिर मैंने वो भूल,

ख़ुशी और मेरा साथ, नहीं बना है इक दूजे के लिए,
छोड़ चली वो भी मुझे, लिए अपने मन अपनी ख़ुशी.

….
….

आगे अभी लिखना है काफ़ी, पर मेरी हाथे थम सी गयी,
फिर कभी लिखूँगा मैं, अपनी जीवन की अधूरी सी दास्तान,

समझ नहीं आता हैं मुझे, क्यों ज़िंदा हूँ अब तक मैं…………
आँखों की अश्रु अब सूखे, बस ख़ुशी की करे इंतज़ार 

के.के.   

मेरी प्रेरणा

सोचता हूँ कभी कभी, मेरे में है क्या कमी,
जिसे प्यार चाहा दिल से, ना मिली मुझे कभी,

फिर भी देखो चाहा तुम्हें, खुद से बढ़कर माना तुझे,
अपना बनाने का ज़िद्द लिए, खुद को मिटाने चला मैं,

बन मेरी प्रेरणा, तुम हो मेरे जीवन की चेतना,
मेरे ख़्वाबों को रानी, बनी हो मेरे धड़कन में,

ये कैसी है मजबूरी, क्यों हैं हमारे दिलो में दूरी,
मुझे मालूम मैं तेरी चाहत नहीं, फिर भी जी रहा तेरे लिए.

के.के.   

सादगी और सच्चाई

सादगी भरा जीवन, विचार में रखो सच्चाई,
अपनों को अपना मानो, ग़ैर से भी सीखो उनकी अच्छाई,

ख़्वाब को छूने दो असमान, मार्ग करो अपना प्रशस्त,
सोच की शुद्धि  लिए मन, हृदय से करो अपना हर कर्म,

देखो मंजिल पुकार रहा, कदम उठा मेरे तुम वीर,
अपने हथों से तुम लिख दो, अपनी नयी तक़दीर,

जाना तो सबको इक दिन,  कुछ कर दिखाना है तुझको,
अपनी मंजिल को तुम, खुद ही राह बनाना है तुझको.

के.के.  

मेरी चाहत लौट आई

देखो नाराज़ हो मुझसे, रूठ चली मेरी जान मुझसे,
मनाने की कोशिश, कर रहा ये दिल मजबूर होकर,

पहले मेरी ज़रूरत बन, फिर बन मेरी उम्मीद,
जीवन की पाठ पढ़ा, देखो मुझे छोड़ चली,

बस इतनी सीं उम्मीद लिए दिल, लौट आएगी वो इक  दिन,
मेरी चाहत में हो मजबूर, इंतज़ार में बिरह घड़ियाँ काट रहा मैं,

फिर वो दिन आ ही गया, जिसकी इंतज़ार में पलके थी बिछी,
नयनों की नींद मेरी, मेरी चाहत लौट आयींमिलने मुझसे,

मेरी ख़ुशी मेरी जीवन, आ गयी क़रीब मेरे जीवन की,
लौट आयी मेरी ख़ुशी, लगे चेहरे की मुस्कान बड़ी अनूठी.

के.के.    

दमन चक्र

ज़िंदगी जीने के ख़ातिर, हूँ इस उधेड़  बुन में अब,
सच झूठ के दमन चक्र में उलझ, जीना भूल गया,

ख़ुशियाँ के लहरो पे, निकला प्यार कि कश्ती  हो सवार,
पर अपनी नसीब हैं खोटी, जो छोड़ चली तुम अपने पथ,

मैं डूबा ग़म के सागर, बिरह की पीड़ा  जो दिल लिए,
खीजने चला था ख़ुशी, ग़म के भँवर में फँस गया मैं बेचारा,

क्या कोई बच सकता है, बिरह के दमन चक्र से,
प्यार की राह में, बिरह भी सुख दे मुझे कभी कभी.

के.के.  

दिल के अरमान

देखो ये दिल के अरमान, अब बन गयी हैं मेरी ज़बान,
मैं शब्द नहीं लिख रहा, ये तो मेरे प्रेम की नयी पहचान.

धन्य हैं वो इंसान, दिया मेरे भावनाओं को इक नया आयाम,
शब्दों के धागे में पिरो कर, लिखा मैंने अपने दिल की तरंग भाव.

ग़ुस्सा नहीं मैं, और ना ही बचीं हुईं दिल में अरमान,
ग़ुस्सा अपनों से करते हैं, तुमसे क्यों करूँ ग़ुस्सा मैं,

पर इक बात बता दूँ तुझे, तुम्हारा प्यार हैं महान, 
जिसे मिले धन्य उसका जीवन, हम रह लेंगे ग़म के संग,

प्यार का मतलब यही तो हैं, तेरी ख़ुशी अब मेरा जीवन हैं,
दूर रहकर अगर मुझसे, मिलती है तो जी लो अपनी ख़ुशी.

के.के.  

दोस्ती क्या सच ?

कहने को दोस्त बनी तुम, पर क्या दोस्त तुम बनी?
क्या इतनी कमजोर थी, अपनी दोस्ती सिर्फ़ नाम की,

कुछ लोगों के कहने से, यक़ीन छूटी मेरी दोस्ती पे,
दोस्ती क्या सच? या थी ये तेरे मन की कोरी रचना,

या सोचती हो तुम, क्यों ग़म बंटोगी मुझसे,
ख़ुशी के वक्त का इंतज़ार में, तोड़ चली दोस्ती मुझसे,

ना चाहिए ख़ुशी मुझे, ना कोई बची उम्मीद अब मुझमें,
अगर ग़म ना बाँट सको, तुम अपनी ख़ुशी बाँट लो अपनों से,

अब मेरा क्या होगा, ये प्रश्न तुम छोड़ो मुझपे,
अपने दिल का दर्द सम्भाल, जी लूँगा अपनी सर्द ज़िंदगी.

के.के.  

तुम मेरे लिए ज़रूरी हो

जैसे साँस लेना हो ज़रूरी, मेरे जीवन का अहसास हो तुम,
तेरे बैग़ैर अधूरा सा, अब मेरी ज़िंदगी ना हो सके कभी पूरा,

मौसम हो सावन के, या उम्मीद जो पतझर सा लगे,
ख़ुशियाँ छूटी ऐसे, जैस डाली छोड़ कोई फूल टूटे,

क्या तुम मेरे लिए ज़रूरी हो? तो सुन लो आज ये भी मुझसे,
जैसे दिल धकड़ने को धड़कन ज़रूरी, हो तुम मेरे दिल की धड़कन,

आँखो की अश्रु सूखे, तेरे ही इंतज़ार में,
रुँधे गले के छाले बोले, अब कर लो प्यार मुझसे,

इंतज़ार की वक्त क्यों लम्बी, किधर गयी ख़ुशी ये मेरी,
कैसी हैं ये द्विधा,या मेरे अनजाने गुनाहों की हैं ये सजा.

कुणाल कुमार 

काँच और रिश्ते

रिश्ते होते काँच समान, दरार जो परे ना जुड़ सके,
इसकी अहमियत समझो दोस्त, बचा लो इसे टूटने से,

अगर चाहत हो रिश्ते में, ना टूटने दो तुम उसे कभी,
थोड़ा तुम जो सुन लो, थोड़ा हम भी समझ ले इसे,

अगर चाहत हो दिल में, समझौता से ना करो परहेज़,
समझौता ही जीने का मंत्र, रिश्ते को वो ज़ोर कर रखे,

माफ़ी माँगने से  देखो छोटा, ना होता हैं कोई कभी,
रिश्ते अगर माफ़ी से, बच सकता है तो बचा लो सभी,

अंतिम की दो महत्वपूर्ण पंक्तियाँ सिर्फ़ मेरे लिए,,,,,

अगर रिश्ता टूट गया कभी, जोरने की कोशिश तुम  ना कर,
क्योंकि रिश्ते होते काँच समान, जुरने पर भी इसमें रहे  दरार.

कुणाल कुमार 

वफ़ादारी हम ना छोड़ेंगे

मिली मुझे वफ़ा का तोहफ़ा, याद इसे हम रखेंगे,
वो बीते पल साथ तेरे, वफ़ादारी हम ना छोड़ेंगे,

तेरा ख़्वाब ही जीवन मेरा, तेरी हंसी मेरी हर उम्मीद,
तेरी ख़ुशी मेरे जीवन का उद्देश, तेरी याद मेरी उम्मीद,

चाहे तुम मुझे जाओ भूल, या जाओ दूर हो तुम मुझसे,
तेरी याद लिए दिल, जी लू मैं अपनी छोटी सी ज़िंदगी,

तुझे दिया आज मैंने ये तोहफ़ा, इक वादा किया तेरे नाम,
वफ़ादारी हम ना छोड़ेंगे, अपना जीवन कर दिया तेरे नाम.

कुणाल कुमार