अहसास

अहसास तेरा तेरे जैसा ख़ूबसूरत, सोच कर मैं ख़ुश हूँ,
ऐसे ही बरकरार रखो तुम अपने अहसास की ख़ूबसूरती,
क्या हुआ जो मेरे लिए ना अहसास थी तेरे दिल में,
मैं जी लूँगा लिए अपना अहसास जो तेरे यादों से भरा हो,

अहसास में जीता मेरा मन खोजता रहता तेरी ख़ुशी,
मेरी हर सुबह में तुम मेरी हर साँस में तुम ही तुम हो,
अपनी हर अहसास को दिल मे दबा बैठा हूँ मैं,
क्योंकि अहसास को ना जताने की क़सम खाई जो तुमसे,

जाने दो दुःख की बातें, रहो ख़ुश तुम अपनों के संग,
मैं अपनी ख़ुशी ढूँढ लूँगा अपने सपनों में खुद को जी लूँगा,
जीवन की कड़वी सच्चाई को दबा समझ मैं पी लूँगा,
कल किसने देखा हैं  मैं आज के अहसास में जी लूँगा.

के.के

तारीफ़ या शिकायत .. व्यंग समान

तारीफ़ के दो लफ़्ज़ कम पड़ जाते हैं आपके लिए,
बेहतर तरह से सम्भाल रखा है ज़िंदगी को आपने,
आपकी अन्दाज़ हैं कमाल, झूठ तो आप बोलती हैं बेमिसाल,
क्या खूब संयम है आपके पास, दिल की बात ज़ुबान पे ना आने दी,

सौंदर्य में हैं आप परिपूर्ण, लगती हैं खिलती कली समान,
ज़रा दिल की ख़ूबशूरती को भी खुल कर साँस लेने दे आप,
आपकी हँसी माहौल बना दे, रोते हुए को भी इक बार हँसा दे,
पर जनाब हँसते कहाँ हैं, जब दिखते है आप अपनों के साथ,

हर मर्ज़ का कारण है दर्द, क्यों छिपा कर रखा इसे दिल में आप,
बह जाने दे इसे अश्रुओं के साथ, अपना ले जो आपको देती हैं ख़ुशी,
किसका डर है आपके दिल में, किसकी हिम्मत जो आपको कुछ बोले,
आप ही ने तो हक्क दिया, इसीलिए हो सकता है कुछ लोग बोले,

अजी जनाब लोग हैं तो बोलेंगे हीसुंदर रिश्ते को तोड़ेंगे ही,
आप कब डर बैठी लोगों सेखुद को तो आप शेर समझती,
शायद से शेर भूल गया जंगलपिंजरे की जो लत लग गयी,
दांत नाखून सारे टूट गएतभी लोगों की हिम्मत हुई बोलने कीं.

ये शेर चाहता हैं जंगल की आज़ादी, पर हैं पिंजरे का ये आदि,
शिकार करना वो भूल गया, सिर्फ़ करतब दिखाना ही बना उसका रीत,
खुद की ख़ुशी को भूल शेर, दुखी जीवन को अपना ख़ुशी समझा,
लोगों के इशारे पर नाचता रहा , शेर शिकार करना भूल जो गया.

के.के 

सम्भावना

सम्भावना हैं दिल मेंतेरा साथ  मिलेगा मुझे,
ग़म  के साये का अंतशायद होगा अब,
इस सम्भावना के सहारेआधी उम्र गुजर दी,
आधी बाक़ी हैंजी लूँगा सम्भावना के सहारे,

शायद मेरे जाने का वक्त  गया है तुझसे,
दूर कहीं जी लूँगा चुप सेतेरे यादों के सहारे,
बस छोटी  सी कसक बाक़ी मेरे इस दिल में,
ना समझ पाई  तुम मेरे प्यार भरे इस दिल को ,

जाने का दिल नही करता,  दूर हो कर तुमसे,
पर जाना तो सत्य हैतुम्हें भी जीना हैं अपनी ख़ुशी,
मेरे रहते तुम्हारा जीवन,  रहेगी द्विविधा वे भरी,
मेरे जाने से रहोगी द्विविधा से परे मेरी परी,

शायद मेरी ये बातफिर झूठ लगे तुम्हें,
मेरे जाने से तुमरूठ ना जाना कभी मुझसे,
चलो इस  बार सच्चा तो बन जाऊँगा मैं,
जाऊँगा कहीं दूरजहाँ तुम ढूँढ ना पाओगी मुझे.

के.के 

इक सुहाना सा सफ़र

साथ जब हो तेरालगे सुहाना ये सफ़र
साथ मिलकर क्यों ना काटेजीवन का ये सफ़र,
बाँट ले ख़ुशियाँ साथग़म का साया ना आने दूँ तेरे पास,
चलो चले हम मिलकरशुरू करे इक सुहाना  सफ़र,

डर किस बात का हैंये ज़रा बता तुम मुझे,
मेरे दूर जाने का डरया मुझे ना पाने का डर,
शायद डर लगता हैं तुझेये सोच लोग क्या कहेंगे,
क्या लोगों को दिया है तुमनेतेरी ख़ुशी सोचने का हक्क,

शायद तुम्हारे सोच को,  मेरा साथ नहीं है गवारा,
या कोई हैं तेरे जीवन मेंजिसका साथ लगे तुम्हें प्यारा,
मैं प्यार कर सकता हूँ ज़रूरपर तेरी ख़ुशी है मुझे प्यारा,
तुझे जीतने से अच्छा हैंमैं भूल जाऊँ ये सुहाना सा सफ़र,

तुमको पा लिया तो क्यातेरे सोच को बदल सकता हूँ मैं,
तेरे सोच को हराने  से अच्छामैं तुमसे हार जाऊँ हर बार,
साथ मुझे चाहिए सम्पूर्णजहां तेरा दिल और मन साथ हो,
मेरे इस सुहाना सफ़र के लिएतेरा होना हैं मेरे लिए ज़रूरी.

के.के

दो शब्द जो दिल में है

दो शब्द जो दिल में हैं, सम्भालना हैं इसे,
वो शब्द ज़ुबान पे आ गयी, तो दोस्ती मेरी टूटेगी,
संभल कर जीने का अन्दाज़ सीखना है मुझे,
तारीफ़ करना हो, तो भी छुपा कर करना हैं मुझे,

दिल को शांत करने की कला सीखना हैं मुझे,
क्योंकि दिल तो बावरा है, नासमझी कर बैठेगा,
जिससे प्यार करता हूँ, उसकी खुशी तो समझ ए दिल,
उसे प्यार नही, तो एकतरफ़ा प्यार क्यों करता ये मेरा दिल,

शायद मेरा ये दिल है मेरे समझ पे हैं भारी,
इसीलिए शायद ये नादानियाँ करता हैं,
समझ को मज़बूत करना ही है अब कर्म मेरा,
दिल को भी सहना होगा अब उसके जाने का ग़म.

के.के

कुछ पंक्तिया जो मुझे भाती है:

तुम्हारे एक मुस्कुराहटपे हम जान लूटा बैठे,
जब हम थोड़ा संभल ही रहे थे जीने की राह पे,
तुम क्यों फिर से यूँ मुश्कुरा बैठी,

यातना या अवमानना

तुम्हारी कही हर बात, शायद मैं ना समझ पा रहा,
खुद को तेरी बातें समझने का क्यों यातना दे रहा,
शायद ये मेरी ख़ुदगर्ज़ी है, जो अवमानना सह रहा,
पर तेरा कहा हर शब्द मुझे, अपना सा लग रहा मुझे,

कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें जो जुड़ी  है तेरे साथ,
तेरी हर प्रताड़ना मुझे ना जाने क्यों प्यारा लगने लगा,
क्या ये मेरी हैं मजबूरी क्यों दिल खो बैठा निष्ठुर के हाथ,
जिसके दिल में प्यार नहीं, वो क्यों प्यार करेगी मुझसे,

जाने दो क्यों सोच रहा मैं निष्ठुर दिल के बारे,
दिल को पत्थर बना बैठी भावना नही तेरे दिल में,
नही डरता मैं ज़्यादा तेरे दिए किसी यातना से,
अवमानना की तो आदत बन गयी, जो प्यार तुमसे की.

के.के

Null Life

My feelings are now getting null for you,
As you made my life void for you,
You did not see my cry for sure,
Which I always feel when you go away,

I know you do not want to shape yourself,
I believe you scares you away to see futures with me,
Maybe you have different taste,
Maybe I failed to convey myself,

Maybe you deserve better than me,
I know you have right choose your company,
But dumping feelings for you is not so easy,
Maybe I have to leave to dream whom I live.

K.K.

सड़क मेरी जीवन

सड़क की चहल पहल, वाहनों का गुजरना हैं पहचान,
मुसाफ़िर को मंजिल पहुँचाए, भटके को रास्ता दिखाए,
सिग्नल पे रुके लोग, इंतज़ार करे कब आएगा अपना वक्त,
सररऽऽ कर निकल पड़ना, जब आएगा उनका वक्त,

हर रोज़ कितने अनजान गाड़ी, निकल पड़ते अपने गंतव्य,
अपने मंजिल को लक्ष बना, चले जाते अपनों  के साथ,
छोड़ जाते है सड़क को, जब मिलती है उनकी मंजिल,
सड़क बेचारा देख रहा, क्यों छोड़ गए साथ उसका सब,

मेरा जीवन भी सड़क समान, पहुँचना पथिक को उसका लक्ष,
अकेला हो जाता हूँ कभी कभी,  जब  जाते हैं सब साथ छोड़,
फिर भी मैं अपने पथ, लोगों को लक्ष्य पर पहुँचना हैं मेरा कर्तव,
शायद इक दिन ऐसा आएगा, जब कोई समझेगा मेरा दर्द.

के.के.

उधार का सपना

यों जी रहा हूँमैं अपनी  उधार की ये  ज़िंदगी,
ख़ुशी तो कही गुम गयीपर जीना हैं ज़िंदगी,
मेरा सपना अब ना रहा अपनाखो कर ये समझा मैं,
खोने की आदत सी हो गयीपाया ना कुछ खुद के लिए,

सच्चा मन क्यों ना समझेअपना हैं ये नसीब,
भोलेपन में खो बैठाचैन बेचारा ये दिल,
अपना समझ अपनाया उसेपाया दिल के क़रीब,
अपना ना बनाया उसनेछोड़ गया रोता मेरा दिल,

ग़मों का साया आजइतना क्यों लिए आज गहराई,
रोने का जी करतापर अश्रु ने भी ना मेरा साथ निभाई,
किसे कहूँ ये हाल  दिलकिसको मैं अपनी मजबूरी बताऊँ,
प्यार तो कर लिया ये दिललिए उधार का सपना नयनों में.

के.के

मेरा दर्द

दिल में दर्द उठता है, क्यों अपना ना बना सका तुम्हें,
क्या कमी मुझमें हैं, या मेरी प्यार तेरे लिए है ग़लत,
अपना समझी होती, तो इक बार स्वीकार लेती मुझे,
समझ लेती मेरे हँसते चेहरे के पीछे का दर्द यूँ ही कभी,

क्यों मैंने की ये गलती, अब खुद पे हँसता हैं मेरा मन,
ना किसी को बाँट सकता, और ना बना सकता कोई हमदम,
दिल मेरा चुरा कर ले गयी तुम, तुम जान भी चुपके से बन गयी,
अब क्या मैं जी सकता, बिना दिल और जान के सिवा?

अब तुम जाओ छोड़कर मुझे, कुच फ़रक नही पड़ता,
क्योंकि दिल और जान तो तुमने चुरा रखा है मेरा,
तेरी एक झलक देखने को मचलता है मन मेरा,
तुझे क्या तुम तो जी रही हो अपनों की ख़ुशी,

हम तो पराए थे, और पराए ही रह गये,
अपना तुम्हें बना लिया ये दिल, पर ना आ सका मैं तेरे क़रीब,
शायद मुझमें ही थी कोई कमी, या भूल गया अपना नसीब,
तेरा बनना तो दूर, तेरा साथ भी नहीं लिखा हैं मेरा नसीब.

के.के.

तेरे सोच को सलाम

तेरी सोच को सलाम, यही समझा  क्या तुमने मुझे,
जान से ज़्यादा चाहा मैंने, तुमने कहा मैंने ग़लत सोचा,

क्या कोई सोच सकता है, अपने लिए कभी ग़लत,
मैंने तो तुझे अपना समझा, ना सोचा था तुम कभी अलग,

शायद गलती की मैंने, बताई अपने दिल कि हर राज,
अपनापन के हद से गुज़र, अपना माना तुझे दिल से,

पर क्या सिला मिला मुझे, मेरी वो सोच जो चाहा तुझे,
क्या वो ग़लत हो सकता है, या कभी सोच सकता है ग़लत तेरे लिए,

पर जाने दो तुम जो भी सोचो, नही जीतना हैं मुझे कभी,
तेरी जीत में मेरी ख़ुशी है, यही सोचे मेरा दिल तेरे लिए.

के.के.

बालक

बालक रूठा भोलेपन में पूछा मेरा क्या है क़सूर,
क्यों डाँट पड़ी मुझे माँ से जो थोड़ी सी शैतानी कीं,
शायद बड़ा होकर करूँगा मैं सब अपनी मर्ज़ी का,
ना कोई मुझे डाँटेगा  ना मैं डाँटूँगा किसी और को,

बालक नादान समझ ना पाए, माँ के डाँट में छिपी है प्यार,
उसकी भलाई के लिए, समझा रही है उसकी प्यारी माँ,
मन में ग़ुस्सा लिए भूल गया वो माँ का निश्चल सा प्यार,
इसीलिए बालक है नादान, माँ ने की उसकी हर भूल माफ़,

माँ ने किया अपनी ज़िंदगी, अपनी हर ख़ुशी अपने बच्चे के नाम,
पर बालक बड़ा होकर,  दिया क्या अपने माँ को अपनापन भरा प्यार,
भूल गया वो माँ को, उलझ कर अपने जीवन में हो व्यस्त,
माँ अकेली रह गयी, जिसे दिया ज़िंदगी वो भूल गया उसे,

फिर भी  माँ के चेहरे पे ना शिकन थी ना ही कोई गाम,
बच्चे की ख़ुशी से ख़ुश थी  माँ हो अपने में ही मगन,
बच्चे को भी समझ आएगी जब जाएँगे छोड़ उसके बच्चे,
अकेलेपन कर दर्द, जब दिन रात सताएगा उसे.

के.के.