आज ना जाने क्यों मेरा दर्द रो रहा हैं,
आँखों के झरोखे से मेरा अश्रु बोल रहा,
अब नफ़रत को ना सह सकेगा ये दिल,
कमजोर होकर टूट यूँ बिखर सा गया,
बहुत देर कर दी समझने में तुम मुझे,
अब तो समझ मेरी खुद पर रो रही,
थोड़ा समझ तो लिया होता तुम मुझे,
दिल मंदिर में सजा रखता भूलने की जगह,
सभी सो रहे यहाँ पर मैं अपने दर्द पे रो रहा,
शब्द रूपी मोती को दर्द के धागे में पिरो रहा,
कविता लिख रहा हूँ पर मंज़िल भूल गया मैं,
प्यार तो कर लिया मैंने पर निभाने में चूक गया.
के. के.