सवाल कई और हैं

मेरे सवालों का जवाब ढूँढ रहा ये दिल,
उसके बेरुख़ी पे हँस रहा हैं मेरा तक़दीर,
क्या तुम्हें प्यार कर गुनाह किया ये दिल,
या अपनी चाहत के हद्द पार किया ये दिल,

कैसी मजबूरी है ये की अब कुछ और नहीं भाता,
तेरे सिवा मेरा दिल अब कुछ और नहीं सोच पता,
क्यों बन गयी हो तुम मेरी ज़िंदगी की हर सुख चैन,
अब तेरे बिना तो दिल मेरा बेचैन सा  नज़र आता,

क्या कमी हैं मेरे प्यार में ज़रा तुम बताओ मुझे,
अपना नहीं सकती तो ज़रा मेरी गलती मुझे समझाओ,
सवाल कई और है मेरे ज़हन में पर मेरा जवाब सिर्फ़ एक,
ये सब हो रहा है क्योंकि ये दिल प्यार सिर्फ़ तुम्हीं से किया.

के.के.

शायरी की डायरी – K.K Original

हम तो चले थे जमाने से अपना मुक़्क़दर बनाने,
हमें क्या पता था ज़माना खुद को ही घर कर लेगा,
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तुम्हारी छोटी छोटी सी बातें माहौल को रंगीन बना देती है,
नहीं तो और भी दर्द हैं दिल में जनाब जो मुझे गमगीन कर देती है,
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प्यार में बेचारा दिल ने खुद को मजनू समझ बैठा,
पर भूल गया लैला तो किसी और से ब्याही गयी थी,
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कैसी हैं मजबूरी ये मेरे हाल ए दिल का,
रक्त के जगह पर यादें संचारित कर रहा,
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तुम्हारे इंकार करने से क्या कम होगा मेरा प्यार तुमसे,
तुम्हारे जाने का ग़म भूल जाएँगे तुम्हारे यादों के सहारे,
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वो कहती हैं मुझसे की दूर चला जाऊँ उससे,
इससे तो अच्छा होता वो मुझे मेरी जान माँग लेती,
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क्योंकि कोई ज़िंदा कैसे रह सकता है रूह के बिना,
जैसे शरीर नहीं जी सकता रक्त प्रवाह के बीना,
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तुम्हारे चाहत में एक अजीब सा नशा हैं मेरी जान,
एक पल ना सोचूँ तुम्हें तो मेरा दिल दर्द से भर जाता है,
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सुबह से शाम तक जुदाई का ग़म मेरे दर्द दिल को देता है,
पर रात कि तुम आकर मुझे मेरे सपने में प्यार कर जाती हो,
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तुम्हें भूलना तो चाहता हूँ मैं दिल से,
पर कम्बख़्त दिल तो मैंने तुम्हें दे दिया,
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मेरा मुक़्क़दर हैं दूर खड़ा कर रहा इंतज़ार तुम्हारा,
समेट लो मुझे अपने बाँहों में और दे दो मुझे मक़सद नया,
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कभी कभी हँसी आती है मुझे खुद के बेबसी पर,
तुम्हारा प्यार दिखता है मुझे तुम्हारे इंकार के पार,
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तुम्हारी ख़ूबसूरती मुझे रूहानी क्यों लगती हैं,
जैसे देवी खुद आ गयी तुम बनकर मुझे अपनाने के लिए,
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जान बनकर जान के क़रीब हो तुम मेरे,
कही जान बनकर जान ही ना ले लो तुम मेरे,
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War Zone

I see my mind and heart always fight,
As their principles are never in sync, 
Many of my relationships got sacrificed,
And the purpose of my life got compromised,

Sometime I try to introspect what my inner feeling says,
Why not mind listens to heart and find the reason for why,
I do not get the answer till the date but I see the differ always,
Still looking for someone who will suit my heart and mind.

K.K.