आसमाँ…

आसमाँ दिखे ख़ुशियों भरा,
अप्रतिम शोभनीय प्यारा सा,
दिखे ख़ुश जैसे हो एक प्रिय पल,
चाहे दर्द से बरस रहे हो उसके विलोचन।

इधर जीवन में ख़ुशियों के रंग बिखेरे,
जैसे इंद्र्धनुश के रंग समेटे हैं जीने का मंत्र,
उधर दर्द से भरे काले घटा,
जैसे समेटे हो खुद को खुद में आसमाँ।

जीवन भी हैं कुछ आसमाँ जैसा,
जहाँ दिखे ख़ुशियाँ और ग़म का अनूठा समा,
यादें भरी इंद्रधनुष,
दे जीवन जीने की प्रेरणा हमें।

कुणाल कुमार

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उम्र…

उम्र की बढ़ती गिनती से,
समझदारी यूँ ही नहीं बढ़ती,
अपने सोच के परिप्रेक्ष्य से,
खुद को समझदार नहीं कहते।

तुम खुद को समझदार समझती हो,
पर ज़रा ये तो बताओ मुझे,
प्यार को समझने की हिम्मत क्यों नहीं की तुममें।
क्यों छोड़ चली उसे पर लिए दिल प्यार उसके लिए।

वैसे तो हो तुम हो हिम्मतवाली,
छोड़ प्यार कर सम्भाला खुद को क्या खूब,
पर यह प्यार कैसा था तुम्हारा,
जो तुम्हारा ख़्याल छोड़ जी रहा खुद की प्यार भरी ज़िंदगी।

तुम्हारी हर निर्णय को मैंने,
अपना समझ अपना बना लिया,
शायद कुछ और उम्र हमें,
मिलन के बिना ही रहना हैं।

हमारे उज्ज्वल भविष्य में,
तुम्हारी सोच की साझा हैं ज़रूरी,
क्योंकि अकेले निर्णय से नहीं मिलती,
जीवन की ख़ुशियाँ सारी।

कुणाल कुमार

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रिश्ते..,

कुछ रिश्ते अनमोल होते हैं,
जिसे हम शब्दों की डोर से नहीं बांध पाते,
जहाँ चाहते तो हैं हम उन्हें खुद से बढ़कर,
पर इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दे पाते।

चाहते है पुकारूँ आपको अपना बना कर,
अपने जीवन की मंजिल आपको बना लूँ मैं,
अपना बना कर एक नाम दूँ इस रिश्ते को,
पर क्या आप मुझे अपनाने को तैयार है अपने दिल से।

आपकी छवि तो बन गयी हैं अंतरात्मा में मेरे,
आपके अलावा नहीं हैं कोई और दिल में मेरे,
क्या आप मेरे दिल में बस मुझे अपना बना सकती हो,
या दूर जा कर मेरी दर्द की सबब बनना चाहती आप चाहती।

कुणाल कुमार

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नियति और ज़िंदगी…

नहीं और ना से लिखी हुई मेरी नियति,
कैसे स्वीकार्य कर सकता हैं किसी की दी ख़ुशी,
ख़ुश रहो तुम अपने यादों के सहारे,
हम भी ख़ुश रहेंगे तुम्हारे दिए झूठे वादों के सहारे।

अपनी सोच के चश्मे से तुम सिर्फ़ देखती हो ज़िंदगी,
वही दिखेगा तुम्हें जिसको सोचती तुम रहीं,
पर क्या उसकी भी धड़कन कभी धड़कती है तेरे लिए,
या सिर्फ़ तुम्हें एहसास दिला जी रहा है मज़े में अपनी ज़िंदगी।

तुम कहती हो की पत्थर है ये दिल,
फिर कैसे धड़कता हैं किसी और के लिए,
मैंने बोला था की ये दिल धड़केगा ज़रूर,
चाहे मुझे मेरी वजूद ही मिटानी पड़े,

तुम ख़ुश रहो अपने धड़कते दिल के साथ,
समेट उसे अपने आग़ोश में दे ढेर सारा प्यार,
अब वही है तुम्हारी धड़कता दिल और हर ख़ुशी,
मैं दूर जाकर जी लूँगा यादों के सहारे अपनी ज़िंदगी।

कुणाल कुमार

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हरे काँच की चूड़ियाँ…

हरे काँच की चूड़ियाँ,
लाया था जो मैं तेरे लिए,
अपने दिल की सारी ख़ुशियाँ,
लिख दिया सिर्फ़ तेरे लिए,

सोचा था अपना बनाऊँगा,
दिल में थी प्यार की उम्मीद,
पर क्या पता मुझे तेरी नियत का,
ना ली तुम मुझसे ना ही छोड़ दी उसे,

मैं ख़्वाबों में लूटता चला गया,
देखने को तेरी हाथों में हरी हरी चूरियाँ,
शायद हक़ीक़त है और भी निष्ठुर,
छोड़ गयी तुम मेरी दी गयी हरी हरी चूरियाँ।

कुणाल कुमार

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इक मुलाक़ात अजनबी दिल से…

इक मुलाक़ात अजनबी दिल से,
यूँ ज़िंदगी के सफ़र में हो गया,
दिल धड़कना मेरे दिल में,
क्यों फिर से शुरू हो गया,

सोया था ये बेचारा दिल,
अल्प विराम जो था उसका स्थान,
पर ना जाने क्यों तुम्हें देख,
खुद बख़ुद धड़कना शुरू कर दिया,

अजीब माया हैं ये जीवन,
सभी खोजे यहाँ अपनी ख़ुशी,
कोई तो बताए मुझे,
क्यों ना दे सकता मैं दूसरों को ख़ुशी,

नहीं विश्वास मुझे खुद पे,
नहीं मेरे नसीब में लिखी कोई ख़ुशी,
पर अपने नसीब को पीछे छोड़,
क्यों ना दे सकता मैं दूसरों को ख़ुशी,

मेरा दर्द अब मैं खुद समझूँ,
सुलझाना इसको है मेरा काम,
शायद कुछ लोगों को नहीं मिलती,
कभी उनके दिल की चाहत बन ख़ुशी,

कुदरत का यहीं हैं फ़लसफ़ा,
हर कोई जी रहा अपनी ज़िंदगी,
बंद कर लूँगा मैं अपने दिल को,
भूल कर मैं अपनी ज़िंदगी।

कुणाल कुमार

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क्यों…

क्यों प्यार करूँ मैं तुमसे,
क्यों तुमको खुद से आगे रखूँ,
जिस निश्छलता से चाहा था कभी,
उसी चाहत को तुमने बीच रास्ते में छोड़ दिया।

शायद इस मतलबी दुनिया में,
मेरे प्यार में तुम्हें कुछ स्वार्थ दिखा,
दिल के आईने में अगर देखती मुझे,
दिखता मेरा प्यार था पारावार की गहराई लिए।

कुणाल कुमार

नाराज़गी अगर दिल का हो तो माफ़ कर दीजिए,
मुझसे की गयी हर ग़लतियों को नज़रंदाज़ कर दीजिए।
इंसान हूँ इंसान से ग़लतियाँ होती हैं कभी कभी,
मुझे खुद का प्रतिबिम्ब समझिए और दिल को साफ़ रखिए।।

कुणाल कुमार

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हमने सोचा था…

हमने सोचा था,
प्यार से जीत लेंगे उनको,
इकरार  तो दूर,
इंकार के भी काबिल न समझा मुझे।

मेरे प्यार में,
क्या कमी थी मेरी जान,
मुझे कमी न बताया,
मुझे ही कम कर दिया।

मेरी आँखों की आँसु,
भी अब सूख गए,
तेरी इंतजार की घड़ी,
इतनी लम्बी क्यों हैं?

कुणाल कुमार

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पहचान…

ख़ुशी देख बनकर अनजान,
क्यों चाहते हो बनाना अलग पहचान,
अपनी ख़ुशी के लिए अपनों को भूलना,
क्या यहीं है तुम्हारे जीने की परिभाषा,

समय की है ये मजबूरी,
आज साथ तो कल बढ़ेगी दूरी,
क्या अपनी परछाई छोड़ कर तुम,
काट पाओगी अपना जीवन बिना धुरी,

अनेक मिलेंगे तुम्हें कहने को अपने,
याद दिलाएँगे तुम्हें वो बीते हुए पल,
पर क्या वो छोड़ सकते हैं खुद की ख़ुशी,
देने के लिए तुम्हें एक नयी पहचान,

शायद तुम्हारे सोच है महान,
जीना हैं बन दूसरों की पहचान,
दुख को दिल से अपना कर तुम,
कर रही हो ख़ुश रहने का स्वाँग।

कुणाल कुमार

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पहली मुलाक़ात…

मिला जो तुमसे मैं,
मिली मुझे अब जीने की चाह,
मेरी ख़ुशी से मुझे,
थी ये मेरी पहली मुलाक़ात,

चाँदनी रात की शीतलता,
आप हंसे तो बिखर जाए,
आपका ये मासूम सा चेहरा,
जैसे हो कोमल किसलय,

आप से पहली मुलाक़ात,
मेरे जीवन में भर उल्लास,
अपनी हर दर्द भूल दिल से,
दिल मैं बसी हो बस आप ही आप,

क्या सच्चा क्या झूठा,
अब मुझे कोई समझ नहीं,
मेरा प्यार है सच्चा,
बाक़ी अब है आप की समझ,

अपनी समझ से अपना लो,
या दूर कर मुझे भूला दो,
समझ जाओ तो है अच्छा,
दिल से हूँ मैं एक बच्चा,

पहली मुलाक़ात से अभी,
जीवन में जो बस रही,
मेरे ख़्वाबों की रानी बन,
बस तुम हो मेरी जीवन संगनी।

कुणाल कुमार

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तुम कौन हों।

तुम कौन हो,
क्यों हो मेरे दिल के इतने क़रीब,
क्या तुम मेरी चाहत की सोच हो,
या हो मेरे नसीब की धुरी।

तुम कौन हो,
क्यों बन गयी हो मेरी ज़िंदगी,
शायद लोग प्यार करते होंगे तुझे,
पर मैंने तो बना ली है तुझे अपनी ज़िंदगी।

तुम कौन हो,
मेरी अहसास या मेरी कल्पना की उड़ान,
पर साथ अच्छा लगता हैं मुझे,
क्योंकि ये अहसास जो घुल गयी सासों में मेरी।

कुणाल कुमार

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जीवन का सत्य…

कौन सच है और कौन हैं यहाँ झूठा,
क्यों मतलबी हैं सारी दुनिया, सोचे सिर्फ़ अपना अपना,
शायद समझ की हैं कमी उनमें या ख़ुदगर्ज़ी हैं सबमें भरी,
शायद ये झूठी दुनिया ही हैं जीवन जीने का सत्य,

उलझन में यहाँ फँसे हैं सारे,
लिए मन में सिर्फ़ अपने लिए सोच,
प्यार भरे सच्चे दिल को कौन पूछे,
क्योंकि यहाँ तो सबको अपनी अपनी पड़ी हैं,

जाने क्यों इंसान नफ़रत लिए दिल,
भूल बैठे हैं वो प्यार का मूल्य,
यहाँ तो झूठ की कही सब सुनते,
सच्चाई तो सभी गए भूल यहाँ।

कुणाल कुमार

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