कुछ बातें…

दूरियाँ चाहे कितनी भी हो,
पर फ़ासले ना आने देना मन में,
रिश्ते की अहमियत को समझना ज़रूर,
चाहे थोड़ा और सहना पड़े तुम्हें।

कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें,
रिश्ते की टहनियों पे लटकी है,
तुम पतझड़ सा रूखा मत बनना,
की यादें दूर हो जाए रिश्ते से।

होते है कुछ ऐसे पल,
जब भूल जाते है हम अपनापन,
ज़रा उस पल को सम्भाल लेना,
और फ़ासले ना आने देना मन में।

कुणाल कुमार

मिलेंगे ज़रूर…

सोच के घोड़े को दे लगाम,
दिल के धड़कन को लिया था मैंने थाम,
याद आने पर बस यही ख़याल रखा है मैंने,
मिलेंगे ज़रूर पर फिर कभी।

समझ का ये फेर हैं,
उसके समझ में अभी थोड़ी देर हैं,
पर वो समझ पाए मुझे, यही ख़याल रखा है मैंने,
मिलेंगे ज़रूर पर फिर कभी।

इस ख़ुदगर्ज़ संसार में,
खुद के आगे कौन सोचता हैं?
शायद ये गलती मैंने की है,
खुद से ज़ायद तुम्हें तरजीह मैंने दी है।

मिलेंगे ज़रूर पर फिर कभी,
पर मैं ना रहूँगा वैसा जैसा था कभी,
देखते है जीतता कौन हैं,
तुम्हारी ज़िद्द या मेरे दिल की कही।

कुणाल कुमार

Convenience

Convenience is state of mind,
Which always adjust its gear,
Sometime with happiness,
Sometime with fear.

Like Life has it’s own way,
To Keep adjusting self,
Where there is optimal happiness,
And have the less fear.

Challenges are always there,
To choose the right gear,
Like one cannot drive in a single gear,
So Keep adjusting happiness and fear.

Happy Diwali to all readers.

Kunal Kumar.

कुछ बातें

कुछ क़दर कर लो आज उनकी,
जिन्होंने तुम्हें हँसना हैं सिखाया,
बस सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के ख़ातिर,
तुमसे अलग होने का दुःख हैं अपनाया।

सोचता हूँ तुम्हारे सोच में,
क्यों जगह नहीं बना पाया मैं,
क्या तुम्हारी सोच में थी खोट,
या मेरे प्यार में ही थीं कोई कमी।

फिर भी आज दिल में मेरे,
अच्छाई की सोच हैं तेरे लिए,
चाहे दिल जले यहाँ मेरी,
ज़िंदगी रोशन रहे वहाँ तेरी।

कुणाल कुमार