ना छल है दिल में,
ना ही कपट किसी के लिए,
बस ढूँढता है दिल उसे,
जो समझ पाए कभी मुझे।
दिन बदले,
बदले महीने और साल,
ऋतु बदलते गए यूँ ही,
पर ना मिल पाया किसी अपने का साथ।
क्या ज़्यादा चाहा था दिल मेरा,
चाहता था बस सच्चाई भरा साथ,
पर आपको शायद ज़्यादा की चाहत थी,
इसीलिए किया आपने अनेकों से प्यार।
कुणाल कुमार
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