भूल जाऊँ…

कुछ कहते है तुम्हें भूल जाऊँ,
ग़म से भरे समंदर से दूर जाऊँ,
सुंदरता की कसौटी पर नापते है तुम्हें लोग,
भूल जाते है मेरा प्यार जो हैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

रंग रूप और तन का स्वरूप,
क्यों बोलते है लोग इसके लिए,
मेरा प्यार तो मेरी नज़रों में बसी है,
जो खुली हुई है सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

शायद सुंदरता मापने का पैमाना,
अलग है लोगों से मेरी,
मेरे लिए सुंदरता दिल से जुड़ी है,
औरों के लिए शायद तन से।

मेरी यादों मे बसा है साथ तुम्हारा,
नहीं कोई जगह है तुमसे जुड़ी कोई और सुख की,
सुंदरता औरों के लिए मायने रखेगी,
मेरे लिए तो तुम्हारी अहसास काफ़ी है।

तुम रहो ख़ुश बस यही चाहत है मेरी,
जहाँ मिले तुम्हें सकूँ मन की,
मेरे जीने के लिए तुम्हारी अहसास ही काफ़ी है,
जिसमें बसी है सिर्फ़ और सिर्फ़ यादें तेरी।

कुणाल कुमार

सुनो…

सुनो,
अफ़सोस है मुझे,
तुम्हारे दर्द की राह पर,
चाह कर भी साथ नहीं दे पा रहा हूँ मैं।

सुनो,
संकोच ना रखना कभी दिल में,
जब ईक्षा हो दिल में,
एक बार आवाज़ दे कर देखना मुझे।

सुनो,
तुम खुद के दिल की सुनो,
वरना लोग तो यहाँ बैठे ही हैं,
हमदर्द बन दर्द देने के लिए।

सुनो,
शायद ये परीक्षा है हमारी,
कुछ समय की जुदाई तो होगी,
पर प्यार और मज़बूत होगा इस दिल में।

कुणाल कुमार

खुद में…

खुद में जीने की हिम्मत माँगी थी रब से,
रब ने मुझसे मेरी ख़ुदा ही छीन ली,
ना जाने ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ,
जिसे ख़ुदा माना वो ही मुझसे रूठ चली गयी।

शायद कुछ कमी रह गयी थी,
मेरे प्यार में,
नहीं तो रब दूर नहीं करता,
मुझे तुम्हारे साथ से।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा,
अलग होना पड़ेगा इस तरह,
अब कैस धड़केगा ये दिल मेरा,
जब धड़कन छोड़ चली है मुझे।

मुझे शिकायत है रब से,
क्यों अलग किया हैं मुझे उस से,
मेरी चाहत को छीन कर मुझसे,
मुझे क्यों जीने को छोड़ दिया खुद में।

कुणाल

जान…

आज जब अलग हो रहा है दिल,
जान जा रही है जान जाने से,
कैसे काटूँगा अपनी बेजान सी ज़िंदगी,
जान तो कही दूर होगी मेरी।

अब क्या पाना क्या खोना,
बस बोझ सी लगने लगी है ज़िंदगी,
मेरी ख़ुशी तो कही और जा रही है,
अब कैसे काटूँगा मैं अपनी ज़िंदगी।

काश हम साथ होते,
जी लेते अपनी नयी ज़िंदगी,
लोग तो कहते हैं बहुत कुछ,
पर हम तो जीते अपनी ख़ुशी।

ना दूर जाने का ग़म होता,
ना होती दर्द खोने की,
रहती जो तुम साथ मेरे,
जी लेते हम अपनी हर ख़ुशी।

कुणाल कुमार

सोच…

नहीं सोचा हैं मैंने,
कैसे कटेंगी मेरी ज़िंदगी,
जिसकी झलक देखने को बेचैन हैं दिल,
उसके बिना जीने की ईक्षा नहीं बची है इस दिल।

ये किसकी सोच थी,
किसने जुदा किया हैं दो दिल,
क्या चैन से जी पाएगा वो कभी,
जिसने चैन छीन ली है मेरी।

पर एक बात तो सत्य है,
अब दिखेगा मेरा दूसरा रूप,
जिसके तपिश से नहीं बचेगा कोई,
जिसने रची है गंद भरी मंजिल।

कुणाल कुमार

क्या तुमने मुझसे प्यार किया है?

क्या तुमने मुझसे प्यार किया है?
अपने दिल में मुझे जगह दिया है?
ख़ामोश क्यों हो तुम,
कह दो अगर तुमने प्यार मुझसे नहीं किया है।

तुम्हारी खामोशी करती है मुझे बेचैन,
हाँ और ना के बीच झूलता है मेरा चैन,
बस ये जानने को उत्सुक है मेरा मन,
क्या मेरे प्यार की गहराई तुमने महसूस किया है।

अब छोड़ लज्जा कह दो मुझे,
अपनी चाहत छिपी है तेरे नयन में,
मैं आज फिर बोलता हूँ एक बार तुम्हें,
मेरा प्यार रहेगा सिर्फ़ तुम्हारे लिए।

आज सुन लो मेरा भी ये वादा है,
अब हमेशा से मेरा प्यार बस तुम्हारा है,
चाहे तुम अपना लो या खुद को झूठला लो,
पर मेरे प्यार के हक़ीक़त में तुम्हारा वजूद सदा हैं।

कुणाल कुमार