कुछ कहते है तुम्हें भूल जाऊँ,
ग़म से भरे समंदर से दूर जाऊँ,
सुंदरता की कसौटी पर नापते है तुम्हें लोग,
भूल जाते है मेरा प्यार जो हैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
रंग रूप और तन का स्वरूप,
क्यों बोलते है लोग इसके लिए,
मेरा प्यार तो मेरी नज़रों में बसी है,
जो खुली हुई है सिर्फ़ तुम्हारे लिए।
शायद सुंदरता मापने का पैमाना,
अलग है लोगों से मेरी,
मेरे लिए सुंदरता दिल से जुड़ी है,
औरों के लिए शायद तन से।
मेरी यादों मे बसा है साथ तुम्हारा,
नहीं कोई जगह है तुमसे जुड़ी कोई और सुख की,
सुंदरता औरों के लिए मायने रखेगी,
मेरे लिए तो तुम्हारी अहसास काफ़ी है।
तुम रहो ख़ुश बस यही चाहत है मेरी,
जहाँ मिले तुम्हें सकूँ मन की,
मेरे जीने के लिए तुम्हारी अहसास ही काफ़ी है,
जिसमें बसी है सिर्फ़ और सिर्फ़ यादें तेरी।
कुणाल कुमार