यों पास आते है लोग,
प्यार करने का दिखावा करते है अनेक,
जब दिल चाहने लगता है उन्हें,
तभी असलियत से पहचान करवाते है वो हमें।
इज़्ज़त और अभिमान,
जीना था हमें लिए स्वामिभान,
पहले तो किया आपने प्यार,
फिर कुचल दिया हैं मेरा स्वामिभान।
क्यों निरीह सा बनूँ मैं,
नहीं झुकना है मुझे कभी,
सर उठा कर जीना है मुझे,
चाहे जीवन जीना परे अकेले अभी।
कुणाल कुमार
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