रिश्ते की डोर में बांध उन्हें,
सम्भाल रखा था अपने दिल के क़रीब,
पर मुझे क्या पता था इस डोर में,
बंधी थी वो अपने मतलब की जोड़ से।
हर रिश्ते की अपनी ही कहानी,
थोड़ी खट्टी मीठी, थोड़ी नई पुरानी,
पर नहीं दिखता है यहाँ कोड़ी सच्चाई,
क्योंकि यहाँ भी दिखता है मतलब की परछाई।
शायद ही वो समझ सके,
निश्चल प्यार कि परिभाषा खुद से,
प्यार करने की ईक्षा है उनके दिल में,
पर खुद को बांध रखी है मतलब की जोड़ से।
कुणाल कुमार