मुद्दा ये नहीं, ये मेरे देश की कमजोरी है,
भूक से तंग, मेरे ये जीने की मजबूरी है,
शिक्षण की कमी, हर ख़्वाब अधूरी है,
जीवन में अंधकार, पर धर्म कर्म ज़रूरी है.
आपस में नफ़रत फैलते, क्या राजनीति ज़रूरी है,
हमें इस आडम्बर में, अब जीना क्या ज़रूरी है,
छोड़ो ये भेद भाव, डगर है कठिन,
देश की विकास पथ, सबका संग ज़रूरी.
कुणाल कुमार