मध्यांतर हो या मध्य जीवन का कोई अंतर,
जीवन बढ़े निरंतर, ख़ुशियाँ समेटे अपने अंदर,
अपने अगले पथ पे अग्रसर, जी रही ज़िंदगी,
ख़ुशी भरे हर लम्हे, या तन्हाई भरे अधूरे सपने,
बचपन निश्चल, मन चंचल, उमंग भरे हर पल,
समय बीते खेल कूद में, बीते समय हर मज़े में,
ना कोई चिंता, ना कोई ग़म, याद रहे ये पल,
सुनहरे सपना नयन लिए, ये है प्यारा बचपन,
जवानी जीवन का वो पल, लगे सपनो सा सुंदर,
जीवन की इस वेला में, सुनहरे पल नयन बसे,
वृति की चिंता लिए, संग जिए प्यार के सपने,
अल्हड़पन भरी पल, दोस्तों के संग कटे ज़िंदगी,
जीवन अवस्था का है मध्य, समेटे जीवन का रहस्य,
छिपा बैठे कथानक मध्यांतर, जीवन चलचित्र की,
यहाँ ख़ुशी वही रहे, जो समझ सके अपनापन का मूल्य,
छोड़ घमंड ना मारो तंज, दिल में ना रखो कोई रंज,
जी लो ज़िंदगी, साथ लिए कुछ ख़ुशी और थोड़ा ग़म,
क्योंकि अगला पल है कठोर, निष्ठुर निर्मोही अभिमानी,
पता भी ना चले, कब छूट जाए जीवन जीने का संग,
जी लो ज़िंदगी हर पल, कभी लिए ख़ुशी तो कभी ग़म.
कुणाल कुमार