तुम्हारी ये रुसवाई, अपना ना बनाने का जिद्द,
तुम्हारी ये ख़ामोशी, तुम्हारे दूर जाने का गम,
मेरे अश्रु भी सूख गए, ये अधूरेपन से,
इन तन्हाईयों से ज़रा पूछो, कितने सितम मेरे दिल पे हुए,
तेरी ये रुसवाई, अपना ना बनाने का जिद्द.
कुणाल कुमार
तुम्हारी ये रुसवाई, अपना ना बनाने का जिद्द,
तुम्हारी ये ख़ामोशी, तुम्हारे दूर जाने का गम,
मेरे अश्रु भी सूख गए, ये अधूरेपन से,
इन तन्हाईयों से ज़रा पूछो, कितने सितम मेरे दिल पे हुए,
तेरी ये रुसवाई, अपना ना बनाने का जिद्द.
कुणाल कुमार