सवाल कई और हैं

मेरे सवालों का जवाब ढूँढ रहा ये दिल,
उसके बेरुख़ी पे हँस रहा हैं मेरा तक़दीर,
क्या तुम्हें प्यार कर गुनाह किया ये दिल,
या अपनी चाहत के हद्द पार किया ये दिल,

कैसी मजबूरी है ये की अब कुछ और नहीं भाता,
तेरे सिवा मेरा दिल अब कुछ और नहीं सोच पता,
क्यों बन गयी हो तुम मेरी ज़िंदगी की हर सुख चैन,
अब तेरे बिना तो दिल मेरा बेचैन सा  नज़र आता,

क्या कमी हैं मेरे प्यार में ज़रा तुम बताओ मुझे,
अपना नहीं सकती तो ज़रा मेरी गलती मुझे समझाओ,
सवाल कई और है मेरे ज़हन में पर मेरा जवाब सिर्फ़ एक,
ये सब हो रहा है क्योंकि ये दिल प्यार सिर्फ़ तुम्हीं से किया.

के.के.

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