कुछ क़दर कर लो आज उनकी,
जिन्होंने तुम्हें हँसना हैं सिखाया,
बस सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी के ख़ातिर,
तुमसे अलग होने का दुःख हैं अपनाया।
सोचता हूँ तुम्हारे सोच में,
क्यों जगह नहीं बना पाया मैं,
क्या तुम्हारी सोच में थी खोट,
या मेरे प्यार में ही थीं कोई कमी।
फिर भी आज दिल में मेरे,
अच्छाई की सोच हैं तेरे लिए,
चाहे दिल जले यहाँ मेरी,
ज़िंदगी रोशन रहे वहाँ तेरी।
कुणाल कुमार