वो कहते है अनूठा है हमारा रिश्ता,
निर्मल निश्चल निराला है ये रिश्ता,
पर पूछने पर क्यों टाल जाते है वो,
हम आपके है कौन ? क्यों नहीं बता पाते वो।
जिससे बात करना तुम्हें लगे अच्छा,
जो हर सुझाव दे तुम्हें सच्चा,
जिसके गले मिलने से तुम्हें मिले तसल्ली,
उसे प्यार कहते है…. समझी मेरी पगली।
पर शायद मुझमें अब प्यार नहीं,
सिर्फ़ कड़वाहट की अहसास हैं भरी,
सिर्फ़ धोखे के काँटे चुभे है मुझे,
अब सिर्फ़ कैक्टस के शूल बची इस दिल में।
भूल जाओ अब तुम मेरी अहसास,
नहीं सह सकता अपने दिल पे एक और वार,
ख़याल रखेंगे हम ज़रूर पर दूर रहकर,
पास ना आऊँगा अब मैं कभी।
कुणाल कुमार