कौन हैं अपना,
कौन हैं पराया,
मेरा भोला दिल,
ये समझ ना पाया।
लगाई थी दिल उनसे,
प्यार था मुझे उनसे,
पर उनके दिल ने कभी अपनाया नहीं मुझे,
क्योंकि उनका प्यार था सिर्फ़ उनके अपनों के लिए।
अच्छा हुआ उन्हें भूल गया.
सारे रिश्ते मेरा पूछे छूट गया,
बस अब तो एक ही रिश्ता है मेरा,
मैं और मेरी लिखी आप बीती।
कुणाल कुमार