आज जब अलग हो रहा है दिल,
जान जा रही है जान जाने से,
कैसे काटूँगा अपनी बेजान सी ज़िंदगी,
जान तो कही दूर होगी मेरी।
अब क्या पाना क्या खोना,
बस बोझ सी लगने लगी है ज़िंदगी,
मेरी ख़ुशी तो कही और जा रही है,
अब कैसे काटूँगा मैं अपनी ज़िंदगी।
काश हम साथ होते,
जी लेते अपनी नयी ज़िंदगी,
लोग तो कहते हैं बहुत कुछ,
पर हम तो जीते अपनी ख़ुशी।
ना दूर जाने का ग़म होता,
ना होती दर्द खोने की,
रहती जो तुम साथ मेरे,
जी लेते हम अपनी हर ख़ुशी।
कुणाल कुमार