ये नयन मेरी,
दर्पण मेरी अस्तित्व की,
ख़ुशी हो या ग़म,
गवाही देती है ये मेरे दिल की।
जाने से दूर तेरे,
छलक पड़ती है ये ग़म में,
पास आकर तेरे,
ख़ुशियाँ दिखती है इसमें ढेर सारी।
ये नयन मेरी,
कह रही है ये कहानी मेरी,
इंकार और इकरार का सफ़र,
देखी है ये बातें तुम्हारी कही।
कुणाल कुमार
Bahut khoob
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धन्यवाद
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Nice poems.
Keep it up.
I also write and will share some of them.
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Sure, you are most welcome.
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Nice Poem, well written.
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