ज़रा देख लो तुम खुद को,
मेरे दिल के दर्पण में,
जो सुंदरता थी कभी तुममें,
वो खो गयी है तुम्हारे किए से।
मुझे मासूम समझने की गलती ना कर,
मुझे सब पता है क्या है तुम्हारे दिल में,
पर यूँ चुप रहता हूँ मैं,
क्योंकि सच्चाई कभी थी हमारे रिश्ते में।
अगर सोच में तुम्हारे ना होती खोट,
तो तुम ना देती मुझे ऐसी चोट,
मुँह पे मिस्री सी बोल अब चुभती है,
जब पीछे सुनता हूँ तुम्हारे कहे बोल।
कुणाल कुमार
बहुत हीं सुंदर तरीक़े से अपने मन की बात लिख दी। ज़िन्दगी में ऐसे लोग सिर्फ़ आपको सही और ग़लत का फ़र्क़ सिखाने के लिए आते हैं। यूँ हीं लिखते रहिए🤗🤗
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Thanks
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