हम अपने अपने परिपेक्ष्य में,
खुद को सही समझते है,
पर ये सोच तो हमारा है,
इसीलिए दूसरे हमें अक्सर ग़लत दिखते है।
तुम्हें लगा कोई छला तुम्हें,
इस बात से दुखी होती हो तुम,
पर तब क्यों ना था दुःख तुम्हें,
जब सहूलियत के लिए छोड़ चली थी तुम मुझे।
कहती थी प्यार है मुझसे,
पर अचानक से क्यों बदल गयी थी तुम,
क्या मेरा प्यार करना था ग़लत,
और तुम्हारा मुँह मोड़ना था सही।
कुणाल कुमार