भोली सी सूरत में,
तुम समेटे हो कितने राज,
कभी तुम मुझसे दूर हो,
कभी तुम हों मेरे पास।
कभी इकरार कभी इंकार,
ये नाटक देखा मैंने सौ सौ बार,
मान लिया तुम्हें खुद से है प्यार,
पर काश तुम समझ पाती औरों का भी प्यार।
अभी तक सोचती हो,
तुम जी सकती हो दोहरी ज़िंदगी,
जिसके लिए दिल में है तुम्हें प्यार,
उसके लिए तुम हो बस एक अतिरिक्त यार।
अब थोड़ा आगे का सोचो,
अपने सोच के परिप्रेक्ष्य से निकलो,
जो तुम्हारे लिए नहीं छोड़ सकता अपनी ख़ुशी,
उसकी सोच लेकर क्यों जी रही हो तुम अपनी ज़िंदगी।
कुणाल कुमार
Insta: @madhu.kosh
Telegram: https://t.me/madhukosh
Website: https://madhukosh.com