उसके दुःख में अगर ख़ुशी मनाऊँ,
स्वार्थी बनकर उसके पास जाऊँ,
उसे पाने के लिए सहानुभूति दिखाऊँ,
ये बात कुछ अच्छी नहीं और मुझे जँचती नहीं।
अगर तुम आती खुद से,
समझा पाता तुम्हें मैं खुद को,
पर दुखी मन को साथ चाहिए,
ना की साथ के लिए दुःखी मन के पास आप जाइए।
चाहता हूँ तुम्हें दिल से,
पर कह नहीं सकता अभी मैं ये बात तुमसे,
अभी तो बस इंतज़ार है तुम्हारे ख़ुश होने की,
पर कभी समझ पाओगी तुम दिल में बसी प्यार की कही।
कब तक तुम भगोगी खुदसे,
कभी तो प्यार करोगी तुम मुझसे,
बस इसी आशा में धड़क रहा ये दिल,
कभी तो दिल लगाओगी तुम मुझसे।
नम आँखें से सिंच रहा मैं दिल,
शायद अब ना मिल पाएगा मेरे प्यार को मेरा मंजिल,
पर अब बहुत खारा हो गया है मेरा दिल,
अब ना बना पाएगा किसी और को अपनी मंजिल।
कुणाल कुमार
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Chot dikhai de jaruri toh nahi…
Kuch jakhmon ke nishan nahi milte..!
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बहुत बढ़िया ..
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