बारिश के बदरी से पूछो,
वर्षा क्यों नहीं वो करती हैं,
बंजर सूखे खेत को देख,
किसानों की नयन क्यों तरसती है।
दो वक्त के खाने की जुगाड़ में,
किसान की समय हमेशा कटती हैं,
खुद का पेट भूखा रह जाए पर,
पर मेहनत से किसान को नहीं परहेजी हैं।
चाहे बाढ़ में बह जाए फसलें किसान की,
फिर भी धैर्य नहीं ढलती है,
फिर उदय होता है किसान की मेहनत,
लेकर सोने सा फसल खेतों में।
कुणाल कुमार
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