कभी बारिश कभी धूप,
इसमें मौसम का क्या हैं क़सूर,
हँसना इतना आसान हैं जब,
तो क्यों बरस पड़ता है नयन पाकर दुःख।
देखा हैं मैंने एक सतरंगी ख़्वाब,
जिसमें पाया तुमको अपने काफ़ी पास,
सिंच रहा अपने प्यार भरे बगीचे को,
अपने विरह से निकला अश्रुओं के साथ।
शायद पिघल जाए तेरा पत्थर दिल,
या बन जाए मेरा प्यार बिन मौसम बरसात,
सिंच दे मेरे बगीचे को भर प्यार दिल में,
और बना ले मुझे अपना देकर ढेर सारा प्यार।
कुणाल कुमार
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बहुत सुन्दर।🌹
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धन्यवाद
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