तुम कहती हो अपना ख़्याल रखना,
सेहत का वास्ता है तुम्हारा दलील,
पर क्या करना इस सेहत का जनाब,
जब आपके साथ में प्यार नहीं दिखे मेरे लिए।
कैसी है ये अजीब उलझन,
जो सुलझने के नाम पर आपको मुझसे माँगे,
इससे अच्छा तो उलझा रहे ज़िंदगी,
जब तक मेरी साँसें आपके साथ चले।
ख़ुश रहने की चाहत किसे नहीं,
पर ख़ुशी तो पाना हैं हमें खुद से,
पास आ जाओ मेरे दिल के क़रीब,
बस जाओ मुझमें बनकर तुम मेरी।
कुणाल कुमार
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