अगर दिल में प्यार ना हो तुम्हें,
इंकार सजाकर रखा हो लबों पे तुम अपने,
समझ सकते है प्यार नहीं है तुम्हें मुझसे,
और जी लेंगे हम दूर रहकर अपने प्यार से।
शायद ये भूल हो गयी है मुझसे,
नहीं समझा पाया प्यार कितना हैं मुझे तुझसे,
इस भूल की सजा तो जीनी पड़ेगी मुझे,
अब तो अवमान भरी ज़िंदगी जीनी पड़ेगी मुझे।
तुमने किया जो तुम्हें अच्छा लगा,
मैंने किया जो मुझे सच्चा लगा,
शायद तुम्हारी अच्छाई है मुझसे दूर रहने में,
और मेरी सच्चाई हैं तुम्हारे याद लिए दिल जीने में।
कुणाल कुमार
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