कभी कभी सोचता हैं मेरा दिल,
काश समझा सकता मैं खुद को तुम्हें,
चाहता हूँ तुम्हें खुद के वजूद से ज़्यादा,
पर अपने चाहत के लिए तुम्हें नहीं खो सकता मैं।
तुम कुछ ख़ास हो,
मेरे जीवन की आस हो,
तुमसे दूर रहकर भी जी लूँगा मैं,
पर तुम्हें दुःख देकर जी नहीं पाऊँगा मैं।
तुम ख़ुश रहो लिए अपनी अच्छी सेहत साथ,
चेहरे पे रहे तुम्हारे ख़ुशियाँ भरी मुस्कान,
मेरा वजूद तुम्हारे ज़िंदगी में रहे या नहीं,
पर तुम्हारे सुख समृद्धि सदा विकास हो।
कुणाल कुमार
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