जब खुद की सोच साथ ना दे,
नहीं हो सच्चाई झेलने की ताक़त इरादे में,
तब खुद को छुपाने का बेहतर तरीक़ा है,
बोलेंगे लोग क्या कहेंगे हमें।
लोगों के नाम के पीछे,
छिपे है कितने ही कमजोर इरादे,
अगर खुद की हिम्मत में हो कमी,
तो लोगों का नाम का सहारा हम लेते हैं।
शायद ही कभी समझ पाओगी,
अगर समझी तुम तो पछताओगी,
होनी जो लिखा हैं ईश्वर ने नसीब में,
क्या लगो की सोच उसे बदल पाएँगे।
कुणाल कुमार
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