डर लगता हैं…

डर लगता हैं कुछ कहने में,
ख़ौफ़ लगता हैं अब जीने में,
एक बोल सुनने के लिए मैंने,
तंज भरे अनेक वाणी बाण सहे।

कहते हैं वो किसने कहा की उनसे प्यार करे,
जैसे प्यार उनसे पूछ कर करना था हमें,
प्यार तो अहसास हैं जो मेरे दिल में है बस गयी,
चाहे आप प्यार मुझसे करे या किसी और के लिए जिए।

जिसे आप अपना समझ अपनों को ठुकरा रहे,
वही आपके रास्ते में अनेक पनस लगा रहे,
पर कुंठित मिज़ाज आपका किधर देखे सच्चाई,
अपने सोच की परिपेक्ष से आपको झूठों में दिखे सच्चाई।

शायद गलती हो गयी हैं मुझसे,
जो दिल के अरमान साझा किया हैं आपसे,
इस गलती कि सजा तो जीनी पड़ेगी मुझे,
अब ना बोलूँगा दिल की कही कभी आपसे।

कुणाल कुमार

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