निशब्द सा देख रहा,
अपनों के द्वारा कहे बोल,
अपनापन जता रहे हैं वो,
पर मुझे अपना बनाने से क्यों डर रहे वो।
झूठी आशा की गोद बना,
प्यार भरी लोरी सुनाते रहते,
जब दिल की बात होती है तो,
दिल तोड़ मुँह मोड़ चले जाते हैं वो लोग।
निशब्द सा रह गया मैं,
खुद को समेट यादों के आँचल में,
तुम तो दूर चली जा सकती हों,
पर साथ बिताए वो पल कैसे छिन पाओगी तुम।
कुणाल कुमार
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