कैसी ये मजबूरी हैं,
मेरे और चाहत में ये दूरी हैं,
दिल रोना चाहे फिर भी,
नयन मेरा अश्रुओं बिना हैं अधूरी।
शायद औरों की तरह,
मेरा अहसास भी साथ छोड़ गया,
जाते जाते यादों की कब्र बना,
दर्द भरे कील से उसे ठोक गया।
दिल में उत्साह की कमी,
क्यों मेरे सोच पे है गहराई,
एक ख़ुशहाल सा मेरा ज़िंदगी,
प्यार करने कि वजह से उजड़ गया।
कुणाल कुमार
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