कुछ लोग होते हैं,
जो खुद को समझदार समझते है,
अपनों को समझना छोड़ कर,
अपनों के जीवन को निग्रह कर लेते है।
हर बात पे समझदारी झाड़ते,
दिखाते उन्हें हैं सम्पूर्ण ज्ञान,
पर जहां समझदारी दिखाना था उन्हें,
वहाँ मूक दर्शक बन कर रहते हैं।
देखा है मैंने उन्हें क़रीब से,
जीते है वो सिर्फ़ अपने बनाई अनुभूति में,
सच नकारते है वो अपने बनाए सोच से,
क्योंकि सच का सामना नहीं कर सकते है वो।
उन्हें जब इज़्ज़त से इज़्ज़त मिले,
और प्यार से बढ़कर प्यार,
समझदारी उनकी खो जाती हैं,
और खो बैठते है वो अपनों को।
कुणाल कुमार