नारी तेरी हैं अजब कहानी,
कहते है तूँ समझदारी में है सयानी,
बुद्धिमता में भी तूँ हैं अद्वित्या की निशानी,
पर अपनों की परख में तूँ है अभी अज्ञानी।
जब मिलती हैं प्यार तुम्हें,
हज़म नहीं कर पाती हो उसे अपने दिल से,
शक्की सा ढूँढती हो मतलब,
अपने सोच के बनाए परिदृश्य से।
मैंने ढूँढ लिया मैंने एक बेहतरीन जगह,
मेरे यादों के पन्ने में लिया है आपको सहेज,
अपने बीते हुए लम्हों को शब्दों में पिरो,
आपके अस्तित्व को किया मैंने खुद में समावेश।
कुणाल कुमार
Disxlaimer – it’s writer personal view, not geneeal.