तुम कौन हो,
क्यों हो मेरे दिल के इतने क़रीब,
क्या तुम मेरी चाहत की सोच हो,
या हो मेरे नसीब की धुरी।
तुम कौन हो,
क्यों बन गयी हो मेरी ज़िंदगी,
शायद लोग प्यार करते होंगे तुझे,
पर मैंने तो बना ली है तुझे अपनी ज़िंदगी।
तुम कौन हो,
मेरी अहसास या मेरी कल्पना की उड़ान,
पर साथ अच्छा लगता हैं मुझे,
क्योंकि ये अहसास जो घुल गयी सासों में मेरी।
कुणाल कुमार
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Lovely.
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