कैसी हैं ये बेबसी,
चाहत दिल से क्यों नहीं निकलती,
जानकर भी सच मेरे दिल,
उसे भूलने की भूल तुम क्यों नहीं हो करती।
कभी सोचता हूँ दिल मेरा,
ख़ुदगर्ज़ी के राह पर क्यों चल पड़ी,
वो प्यार नहीं समझती तुम्हारा,
फिर भी तुम उससे चाहत की उम्मीद कर रही।
शायद सच्चाई कि भाषा,
सच्चे दिल ही समझ पाते हैं,
जिसने दिल पत्थर का किया हों,
वो भला सच्चाई को क्यों समझे।
कुणाल कुमार
Insta: @madhu.kosh