काफ़ी कुछ हैं कहना,
पर मुझे आज चुप ही हैं रहना,
जब समझने वाले नासमझी से परखे,
तो नासमझ बनकर ही हैं मुझे रहना।
ज़िंदगी के कुछ लम्हे ऐसे हैं,
जो दिल के द्वारा लिखे गए,
अश्रुओं के स्याही में डुबो कर,
प्यार के पन्ने पर दर्द के नज़्म लिखे गए।
शायद मेरा प्यार नहीं देखा दर्द,
जितना दर्द तुमने सहे हैं,
प्यार करता हैं दिल तुम्हारा,
पर इकरार ना करने का दर्द तुमने सहे हैं।
कुणाल कुमार