ज़िंदगी में कभी कभी कुछ यादें,
दिल के क़रीब आ रह जाती हैं,
जैसे एक खूबसूरत सी कली,
मुरझा जाती है खिलने की चाहत लिए दिल।
क्या कहना क्या सुनना,
जब नहीं है तुम्हें मुझे चुनना,
मुझे भी नहीं दिल में इकरार की उम्मीद,
क्योंकि इंकार की क़ीमत चुकाई है मेरा अस्तित्व।
जाने क्यों ख़ामोश है ये दिल,
चाहता हैं सिर्फ़ तुम्हारी ख़ुशी,
शायद मेरी चाहत की हैं ये मंजिल,
रहना है खुद में तुम्हारी चाहत लिए दिल।
कुणाल कुमार