रक्त की प्रवाह जब छूने लगे ललाट,
मन में उठे द्वन्द जब दिल को करे तंग,
हर साँस में बहने लगे ख़्वाब भरे तरंग,
तब दिखता है हमें सच्चे प्यार का रंग।
अहसास प्यार का सच्चे दिल में बहता है,
वहाँ नहीं जहाँ प्यार सिर्फ़ खुद के लिए बसता है,
अपना दर्द भूल जब करता है दिल अपने को क़बूल,
अच्छाई सच्चाई के रूप ले दिखता है ग़ैरों में अपना प्रारूप।
जाने क्यों जी रहा हूँ ख़्वाब में हर घड़ी,
भूलने की कोशिश की पर भूल नहीं पता मेरा दिल,
क्यों प्रवाहित कर रही तुम्हारी यादें दिल ला तुम्हें मेरे क़रीब,
शायद तुम्हें भूलने कि भूल नहीं कर सकता हैं मेरा ये वजूद।
कुणाल कुमार