मैं अकेला बैठा सोच रहा था कैसी है ये मेरी मजबूरी,
वो मुझे नहीं चाहती हैं फिर भी दिल में क्यों हैं उसकी छवि,
इसीलिए कहते हैं प्यार अंधा होता हैं और समझ उसकी कुंठित,
पर अब तो दिल ने ठान लिया है खोज लेगी वो उसमें अपनी मंज़िल,
शायद तुम कभी समझ पाओगी क्या हैं तेरी अपनी ख़ुशी,
मुझे छोड़ जीवन में कभी तुम खोज पाओगी अपनी ख़ुशी,
जिस झूठ को तुम अपना समझ जी रही हो अपनी ज़िंदगी,
वो झूठ ना सताए तुम्हें और बन जाए तुम्हारी दिल की ख़ुशी,
के. के.