बाइस्कोप वाला आया, बाइस्कोप वाला आया,
गला फाड़ चिल्लाया, बाइस्कोप वाला आया,
ये बोल सुन, नन्हे मुन्ने बच्चों का मन ललचाया,
खेल कूद सब छोड़, दौर पड़े बाइस्कोप देखने,
बाइस्कोप की सुनहरी दुनिया, कहानी है अनेक.
पच्चीस पैसे का एक चक्र, देखे जो बच्चे मिलकर चार,
कभी कहानी उन वीरों की, कभी देश के क़िले महान,
कभी देखे मुंबई की शान, तो कभी देखे नेता महान,
कभी देखे राम की लीला, कृष्ण करे कभी रास लीला.
बचपन का मदमस्त जीवन, बाइस्कोप वाले के संग,
बच्चे जी ले अपना जीवन, अपने प्यारे ख़्वाबों के संग,
कभी बने झाँसी की रानी, कभी बने वो राजा महान,
कभी बने हीरो, तो कभी मुंबई के गलियों की शान.
खेल कूद में बीते जीवन, बाइस्कोप के संग संग,
अब ना मिले वो ख़ुशी, चाहे देखे कोई भी फ़िल्म,
अभी तो ये बचपन बीते, जो मोबाइल फ़ोन के संग,
खुशी ना मिली जो उन्हें, जीवन के ये प्यारे रंग.
के.के.