मिला तुझसे अच्छा लगा, हुआ जो तुमसे प्यार,
सबसे अलग लगा मुझे, लगा एक कली खिली,
दिल के बगीचे में, तेरे नाम का एक कली खिली,
बनके फूल सुगंध भरी, महके मेरा मन जो तेरे संग,
खोजे नयन तेरी ख़ुशी, जो मेरे मन के द्वारे,
जीने के इस डगर पे, संग जीने को तुम्हारे,
कठोर किए मन, संझा किया मन की बात,
सोचा संग मिले मुझे, तेरे संग जीने की राह,
क्या पता तेरी ख़ुशी, है किसी और के संग,
मुझे छोड़ चल परी, मेरी परी अपने के संग.
सोचा मैं ना था कभी, उसके पथ का राही,
जीवन पथ पे उसने, अपनी राह चल पारी.
औरों की तरह, जो वो भी निकली,
तू भी मेरी कली, बस और निकली.
के.के.