आज़ादी लिए मन, क्या हुए आज़ाद हम?
अंग्रेज गए छोड़, कहने को आज़ाद हुए हम,
कहने को मिली आज़ादी, पर क्या हुए आज़ाद हम,
संकीर्ण मानसिकता को, क्या पार कर लिए हम,
क्या मिली जीने की आज़ादी, क्या मिली सोच की आज़ादी,
क्या जी सके खुल कर हम, या मर रहे जी जी कर सब,
क्या घूमे यहाँ बलात्कारी अनेक, क़ानून का सोया है विवेक,
क्या सब नेता भूले कर्म, बन सारे बेशर्म भूल गए अपना धर्म,
क्या निर्भया जी सकी, अपने निर्भय जीवन के संग,
क्या प्रियंका को मिली, अपने जीने की आज़ादी,
सच्ची आज़ादी से दूर, सभी है जीने को मजबूर,
जनता माँग रही आज़ादी, अपने जीने का हक़.
कुणाल कुमार