दिल ने बोला आज मुझसे की थोड़ी तारीफ़ कर लूँ आपकी,
सोचा तारीफ़ भरे कुछ अल्फ़ाज़ क्यों ना मैं शिद्दत से लिख दूँ,
इसी उधेड़-बुन में आज मैं थोड़ा संजीदा हो माज़ी में खो गया,
अल्फ़ाज़ों को पिरो कर आपको बा-दस्तूर बयान करने लगा,
लोग कहते हैं तारीफ़ अगर दिल की चश्म से की गयी हो तो,
दिल वादों का कफ़स तोड़ उन्स के ख़ूबशूरती में खो जाता हैं,
ये तुम सुन लो की तुम्हें पाने की माशिय्यत ना थी दिल में मेरे,
क्योंकि मेरे दिल की सोच तो हैं तलबगार आपके ख़ुशी का,
देखो अब तो मेरा दिल कर रही सिर्फ़ इंतज़ार ए मौतज्जा,
मेरे सिफ़र को बस नया मुक़ाम मिल जाए जीने के ख़ातिर,
तुम्हें जान ए अदा बनाने की चाहत में तवक़्क़ुआत जाग उठी मेरे दिल में,
देखो आज भी मेरा दिल मुंतज़िर है तेरे आशना बन जाने तक.
के. के.
Amazing way to appreciate and Expect.. ☺
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Thanks ..
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no words 🙉
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Thanks
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well, welcome sir ji 😁
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