आज मैंनेतुम्हें देखा अपने मन की आँखो से,
तुम्हें देख मालूम हुआ क्यों फिसला मेरा दिल,
भोली सी सुरत तुम्हारी जैसे मृग चंचल प्यारी,
नयन भी ख़ूबसूरती समेट लिए सागर कीं गहराई,
ये तेरा भोलापन हैं या दिल तुम्हारा हैं नादानियाँ भरी,
जिसे अपनाना चाहिए तुम्हें उससे बना रही हो दूरियाँ,
जो दिल अब जी रहा हैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
उसे भूलने का भूल अब क्यों कर रहा ये दिल तुम्हारा,
मेरा दिन कट रहा हैं दिल चाहता तेरा एक झलक,
मैं आज क्या देख पाऊँगा बस तुम्हारी एक झलक,
मैंने छोड़ दिया अपना प्यार अपने खोटे नसीब पर,
प्यार मेरा अगर सच्चा होगा आज तुम दिखोगी मुझे.
के.के