मन से दिल मेरा आज़ाद है,
सोच मेरा दिल के हाथ है,
दर्द ग़ुस्सा प्यार मोहब्बत,
मेरे मन के क़ैद से आज़ाद है,
लोक लज्जा तो मन मेरा समझे,
दिल मेरा सिर्फ़ नादानियाँ करता रहे,
मैंने तो रिश्ते निभाना दिल से सिखा,
मन तो सिर्फ़ अपना फ़ायदा का सोचे,
ये बदलाव तो हैं ईश्वर की देन,
अंदर की ख़ुदगर्ज़ी को भूला बैठा मैं,
मेरा निष्ठुर दिल भी अब चाहने लगा,
अब गाने लगा ख़ुशी भरे गीत.
के. के.