क्यों मचलता हैं मेरा दिल,
क्यों तेरे क़रीब आना चाहता है दिल,
क्यों नहीं मैं जी पा रहा तुम्हारे बिना,
क्या हो गया मुझे कोई तो ये बताए,
शकुन मिलता मुझे जब होता हूँ अकेला,
खोया रहना चाहता हैं दिल बस तेरी याद में,
शायद ये दीवानगी अब बन गयी हैं मेरी पागलपन,
पर क्या करूँ मजबूर सा बनकर रह गया हूँ मैं,
सुबह सुबह जब आँख खुली मन बेचैन सा हो गया,
क्यों मेरा दिल तुम्हें ढूँढ रहा हर घड़ी हर पल,
अब तो कुछ करने का जी नहीं कर रहा दिल मेरा,
खीज रहा खुद पे कीं क्यों खोज रहा तुम्हें दिल मेरा,
पता नहीं क्यों प्यार हुआ मुझे तुमसे,
क्यों मेरा दिल तुमपे हो गया फ़िदा,
शायद ये थी सिर्फ़ तेरी बाहरी सुंदरता,
या ये थी तेरे रूह की मधुरता,
शायद ये गलती हो गयी मुझसे,
पर अब तो देर जो हो गयी मुझसे,
चाहते हुए भी ना भूल पाऊँगा तुम्हें शायद,
पर तुम मुझे भूल जाओ ये अच्छा हैं तेरे लिए.
के.के.